हिन्दी के साहित्यिक पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बना चुकी ‘पाखी’ का प्रकाशन सितंबर 2008 से नियमित जारी है। राजधानी दिल्ली के हिन्दी भवन में हुए इसके प्रवेशांक के लोकार्पण के अवसर पर नामवर सिंह ने उम्मीद जताई थी कि ‘पाखी’ अपनी ही उड़ान भरेगी और यही हो रहा है। अब तक पाखी पत्रिका ज्ञानरंजन, राजेन्द्र यादव, नामवर सिंह और संजीव पर विशेषांक निकाल चुकी है।
हिन्दी के साहित्यिक पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बना चुकी ‘पाखी’ का प्रकाशन सितंबर 2008 से नियमित जारी है। राजधानी दिल्ली के हिन्दी भवन में हुए इसके प्रवेशांक के लोकार्पण के अवसर पर नामवर सिंह ने उम्मीद जताई थी कि ‘पाखी’ अपनी ही उड़ान भरेगी और यही हो रहा है। अब तक पाखी पत्रिका ज्ञानरंजन, राजेन्द्र यादव, नामवर सिंह और संजीव पर विशेषांक निकाल चुकी है।