Description
जनकृति – वर्ष 8, अंक 86, जून 2022 – विषय सूची
संपादकीय 4
कला-विमर्श विक्टोरियो डी सिका का सिने नवयथार्थवाद और उसका प्रभाव / डॉ. सुरभि विप्लव 8 स्वातंत्र्योत्तर भारत में हिंदी नाटकों के रंगमंच का बदलता स्वरूप / आरती शर्मा 16 सफ़दर हाशमी के नुक्कड़ नाटकों में शोषण के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक स्वर / निशाबेन एन. ठाकोर 27 वर्तमान परिदृश्य और लोक नृत्य ‘लौंडा नाच’ का बदलता स्वरूप / आशा 36 दलित एवं आदिवासी-विमर्श हरियाणा की अनुसूचित जातियों के उत्थान हेतु केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा किए गए प्रावधानों का विश्लेषण / दीपक 47 वर्ण व्यवस्था के बंधन तोड़ती दलित आत्मकथाएं / निर्मल सुवासिया 63 आदिवासी संस्कृति (कहानियों के संदर्भ में) / प्रियंका देऊ वेळीप 72 पूर्वोत्तर भारत के अल्पसंख्यक आदिवासी समुदाय / वीरेन्द्र परमार 78 स्त्री-विमर्श पंचायती राज व्यवस्था में 50 प्रतिशत आरक्षण: महिला सशक्तिकरण की नई पहल (विशेष सन्दर्भ :हिमाचल प्रदेश)/ प्रीति 89 भारत विभाजन की त्रासदी का लैंगिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन / सुकान्त सुमन 99 ‘नयी पौध’ में बेमेल विवाह की समस्या / ज्योति 112 ‘माधवी’: पुरुषार्थ और मान्यताएँ / मेघा 120 शिक्षा-विमर्श रूसो की शिक्षा संबंधी चेतना; संपूर्ण विकास की परिकल्पना / डॉ. मायानंद उपाध्याय, अंकुर सहाय श्रीवास्तव 133 किन्नर-विमर्श ‘यमदीप’ उपन्यास में अभिव्यक्त किन्नर समाज का यथार्थ / कृतिका चौधरी 138 मीडिया-विमर्श मीडिया साक्षरता की आवश्यकता / राजेन्द्र सिंह क्वीरा 145
राजनीतिक-विमर्श भारत-इजरायल द्विपक्षीय संबंध: बदलते सुरक्षा आयाम / अमित कुमार सिंह 157 अनुच्छेद 370 - भारत पर पहले और बाद में प्रभाव और अनिवार्यताएं / रवि कुमार 168 Status of Women in Panchayati Raj System: A Case Study of Jharkhand/ Dr. Suchi Santosh Barwar 179 भारत की संघीय ढांचे में संसदीय लोकतंत्र की भूमिका: चुनौतियां और संभावनाएं / दीपंकर दे 198 राष्ट्रवाद का विमर्श और प्रवासी भारतीय / राकेश कुमार 209 पॉल रिचर्ड ब्रास: भारतीय राजनीति के विपुल एवं बहुकृतिक विद्वान / जया ओझा 225 साहित्यिक-विमर्श किसान विमर्श : ‘अकाल में उत्सव’ के विशेष सन्दर्भ में / धन राज 230 पृथक्कृत ताहिर, कुबरा, सुगरा, गीता...- अमृता सी. एस./ प्रोफ. प्रभाकरन हेब्बार इल्लत 236 विकास का छद्म: एक गाँव फुलझर / डॉ. मिथिलेश कुमारी 252 “अपना गाँव” एक नयी जमीन की तलाश/ डॉ. बिजय कुमार रबिदास 260 रेणु की कहानियों की जीवंतता को विश्लेषित करते पात्र / चन्दा सागर 274 समग्र मानवीय दृष्टि का वाहक एक विशिष्ट कथा-शिल्पी: निर्मल वर्मा की नज़र से ‘रेणु’ / डॉ. संगीता कुमारी 284 गोपालराम गहमरी : कुछ प्रश्न, कुछ विचार / गौरव भारती 294 गोरा : राष्ट्रवाद एक अध्ययन / कमरूज़मा अंसारी 301 दस्यु समस्या पर आधारित उपन्यास ‘डांग’/ डॉ. उमा मीणा 310 नयी कविता का मूल्यांकन और विजयदेव नारायण साही की आलोचना-दृष्टि/ कादिर हुसैन 326 पं. वंशीधर शुक्ल: व्यक्तित्व एवं कृतित्व / आशुतोष 337 भारतेंदु की आलोचना दृष्टि / विवेक विक्रम सिंह 347 वीरकाव्य: सृजन की परम्परा एवं प्रयोजन / प्रियंका सिंह 354 किसान के चतुर्मुखी शोषण का यथार्थ दस्तावेज : होरी / डा. मनीषा ठक्कर 375 सूरदास का काव्य: लोक जीवन के अनुभवों की रागात्मक परिणति / अनिल कुमार 382 स्त्री चेतना और मीरा का काव्य / संचना 393 प्रवासी साहित्य न भेज्यो बिदेस: प्रवासी स्त्री के जीवन का यथार्थ / शालू 403 भारतीय संस्कृति बनाम् पाश्चात्य संस्कृति का अंतर्द्वंद्व और प्रवासी हिंदी कविता/ योगेन्द्र सिंह, प्रो॰ नवीन चंद्र लोहनी 411 समसामयिक-विमर्श भूमंडलीकरण का वैश्विक सन्दर्भ/ श्रीकांत पाण्डेय 427
धर्म एवं संस्कृति दक्षिण काशीगा, एकम्बरेश्वरम: तेलंगाना राज्य के प्रसिद्ध मंदिर / सुनंदा ठाकुर, सज्जन सिंह पी 439 श्रीराम के गुणों के परिप्रेक्ष्य मे राजर्षि नेतृत्व शैली का अध्ययन / डॉ. दिनेश कुमार, दिव्यान्शु सिंह 444 आलेख कोका किंगः एक विमर्श / नन्दकिशोर नीलम 460 साक्षात्कार लोक कला और साहित्य के मर्मज्ञ प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा से ललित कुमार सिंह की बातचीत 473 साहित्यिक रचनाएँ कविता आलोक रंजन 482 कहानी हस्बेमामूल/ राम नगीना मौर्य 485 जो तुम कह देते एक बार / मनीषा 495 पुस्तक समीक्षा समाज के यथार्थ को दिखाती कहानियाँ (पुस्तक – हाथ ओ उग ही आते हैं, लेखक- प्रो. श्यौराज सिंह ‘बेचैन’)/ समीक्षक: प्रिया राज 506 साहित्यिक चोरी का दस्तावेज़: छापकटैया (लेखक: प्रो.राजेंद्र बड़गूजर) / समीक्षक: रश्मि सिंह 512