परिचय
परिचय
जनकृति एक अंतरानुशासनिक द्विभाषी पूर्व-समीक्षित अंतरराष्ट्रीय मासिक पत्रिका है। यह एक अव्यावसायिक पत्रिका है जिसका प्रकाशन जनकृति संस्था द्वारा किया जाता है। पत्रिका का प्रकाशन मार्च 2015 से प्राम्भ हुआ और यह पूर्ण रूप से विमर्श केन्द्रित पत्रिका है, जहां विभिन्न क्षेत्रों के विविध विषयों को एक साथ पढ़ सकते हैं। पत्रिका में एक ओर जहां साहित्य की विविध विधाओं में रचनाएँ प्रकाशित की जाती है वहीं साहित्य, कला, इतिहास, राजनीतिक विज्ञान से जुड़े शोध आलेख, आलेख, साक्षात्कार इत्यादि प्रकाशित किए जाते हैं।
अकादमिक क्षेत्र में शोध की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनृरूप पत्रिका में शोध आलेख प्रकाशित किए जाते हैं। शोध आलेखों का चयन विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है, जो विषय की नवीनता, मौलिकता, तथ्य इत्यादि के आधार पर चयन करते हैं।
जनकृति के माध्यम से हम सृजनात्मक, वैचारिक वातावरण के निर्माण हेतु प्रतिबद्ध है।
प्रकाशन वर्ष
जनकृति का प्रकाशन मार्च 2015 से प्राम्भ हुआ और पत्रिका को अप्रैल 2015 में ISSN कोड आवंटित हुआ।
प्रारूप
प्रारम्भ से अभी तक जनकृति में अकादमिक गुणवत्ता एवं पाठकों की सुविधा को देखते हुए पत्रिका के स्वरूप में कई बदलाव किए गए। जनकृति में एक ओर जहां शोध आलेख प्रकाशित किए जाते हैं साथ ही लेखकों को मंच प्रदान करते हुए साहित्यिक रचनाएँ भी प्रकाशित की जाती है।
यूजीसी की पूर्व सूची में शामिल
वर्ष 2017 में यूजीसी द्वारा पत्रिकाओं की सूची जारी की गई और उसमें जनकृति को शामिल किया गाय। पत्रिका वर्ष 2017-2018 तक यूजीसी की सूची में शामिल रही।
प्रकाशित अंक
जनकृति के कुल 9 विशेषांक समेत 84 से अधिक अंक प्रकाशित हुए हैं, जिनमें बुजुर्गों पर केन्द्रित विशेषांक, विदेशी भाषा कविता विशेषांक, जल विशेषांक, थर्ड जेंडर विशेषांक, हिन्दी पत्रिका विशेषांक, लोकभाषा विशेषांक, 21वीं सदी विशेषांक, साक्षात्कार विशेषांक और राजनीतिक-विमर्श विशेषांक सम्मिलित है। इन अंकों के कारण जनकृति को विशिष्ट पहचान मिली। विशेष तौर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में वर्ष 2017 का उर्वशी सम्मान संपादक को दिया गया।