विद्रोही कलम क्यों जी कलम अभी सोई हुई हो, उठो, अभी तुम्हें कोशों दूर चलना है, खुद में सब संताप भिचकर, विद्रोह के स्वर लिखना है ।।१।। क्यों जी कलम अभी सोई हुई हो, उठो, अभी तुम्हें इस समाज के युवाओं का, नया भविष्य लिखना है । नभ के तारों के समान, टिमटिमाते इन युवाओं […]
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युद्ध की कविताएं
१. युद्ध के बीज उपहार में मिलते हैं, छोटी लड़कियों को गुड़ियाएं, और नन्हे लड़को को बंदूक के खिलौने, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में नन्ही बच्चियां सजती है परियां बन, और नन्हे बच्चे फाैजी पोशाक में, और दुनिया युद्ध के कारणों को जानने के लिए विमर्श में मसरूफ है…. २. युद्ध में […]

क़िला
!! क़िला !! हर क़िले की अपनी कहानी होती है ! एक राजा होता है एक रानी होती है ! क़िले का भूगोल बिगड़ जाये समय के संग-संग भले ही पर हर क़िले का अपना इतिहास होता है ! पढ़ लेते हैं वे जो जानते हैं पढ़ना समय की अनगिनत इबारतें क़िले की बनने-बिगड़ने की […]

रचनाएँ – ओमप्रकाश मुंडा
बेटी के कानों से दूर जिन दिनों लोग मेरी प्रेमिकाओं की भूमिका पर सवाल उठा रहे थे सवाल दर सवाल मेरी जिजीविषा कुंठित हो बन रही थी खोपड़ी पर नैतिकता का पहाड़ प्रेम की तो प्रेरणा मात्र है मनुष्य की देह ! कबीलाई सभ्यता में माँ और बेटे का जैविक संबंध विकास की प्रगतिशील परिभाषा […]
