यह आलेख थेरी कही जाने वाली स्त्रियों द्वारा गाए गए गीतों (जिनकी भाषा मूलत: पालि है) के भीतर छिपे उनके साहस और उनकी अन्तर-वेदना की खोज प्रस्तावित करता है. प्राय: प्राचीन भारत के सन्दर्भ में गार्गी, अहल्या और लोमशा के जिक्र के पश्चात स्त्रियों के स्वर विशेषकर साहसी स्वर की चर्चा नहीं मिलती|
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