प्रवास को भोजपुरी समाज ने जीवन जीने की तकनीक के रूप मे विकसित किया था। जाहिर है कि आज भी भोजपुरी प्रदेश में व्यापक पैमाने पर श्रम-प्रवसन जारी है। इस इलाके की निम्नवर्गीय जातियां जीने के लिए आज भी दौड़ रही हैं और जब तक दौड़ रही हैं तभी तक जी भी रही हैं। यह दौड़ उनके जीवन का पर्याय बनी हुई है।
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