नारीवाद या स्त्री विमर्श किसी एक देश विशेष की पूँजी नहीं है बल्कि यह सम्पूर्ण विश्व की स्त्रियों की मुक्ति का दस्तावेज है. यह मुक्ति है पितृसत्तात्मक सोच से मुक्ति, परम्परा से मुक्ति और उस बने-बनाये ढांचे से मुक्ति जिसमें स्त्रियों को सदैव पुरुषों की दासी के रूप में देखा गया है.
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स्त्री-विमर्श और निराला के स्त्री विषयक निबंध
March 6th, 2021
आज स्त्री-विमर्श के फलस्वरूप न केवल स्त्री की पहचान निर्मित हुई है बल्कि हर क्षेत्र में उसकी एक स्वतंत्र और स्वाभिमानी छवि भी निर्मित हुई है।