माज में व्यक्ति की महत्ता के साथ ही साहित्य में इस कथेतर गद्य की प्रतिष्ठा बढ़ती गयी और यह आत्म विज्ञापन से अलग लेखक के जीवन संघर्ष और सांस्कृतिक संवाद को प्रकट करने वाली विधा के रूप में स्थापित होती गयी. मोहन राकेश एक साहित्यकार थे लेकिन उनकी लिखी हुई डायरी मात्र ‘एक साहित्यिक की डायरी’ नहीं कही जा सकती.
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