प्रस्तुत उपन्यास ‘दीर्घतपा’ कुमारी बेला गुप्त के ह्रदय के यथार्थ रूप की पहचान प्रकट करता है। जीवन और संसार की मंगलकामना से प्रेरित होकर बेला गुप्त ने अपना संपूर्ण जीवन समाज की सेवा में अर्पित कर दिया है। बेला के माध्यम से लेखक ने यह पूछना चाहा है कि क्या यही वह आजादी है जिसके लिए अनगिनत लोगों ने जेलें काटीं और अपने प्राणों की आहुति दी ?
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