बेटियां 

महक उठी फुलवारी जब खिली बेटियां 

झूम उठी बगिया में सारी तितलियां 

आईं जब बेटियां असली जीवन का मतलब समझाया 

इतनी सी थी जब उसने मुस्कुराया 

होगी बड़ी जब वह धरती पर लहराएगी 

पूरी दुनिया को अपना मतलब समझाएगी

चीख उठी वह मुझे बचाओ 

पर सुनी ना किसी ने 

तो फिर पछताओ  

हाथ उठाया उस पर सबने फिर भी कुछ कह ना पाई

बेटी थी एक मुस्कान 

पर क्यों लगी उन्हें वह नुकसान 

है वह नन्हीं सी परी 

पर क्यों लगी उन्हें वह मुसीबत से भरी 

जन्म से पहले उसे मारा 

ना देखने दिया यह सुंदर नजारा 

ना है वह मुसीबत से भरी 

ना है वह नुकसान की घड़ी 

वह है एक नन्ही सी परी जो है प्यार से भरी 

है वह पापा के सिर का ताज मां के आंचल का खजाना है वह पापा के दिल का टुकड़ा मां का पूरा संसार है वह 

ना है वह मुसीबत से भरी 

ना है वह नुकसान की घड़ी 

वह है एक नन्हीं सी परी 

जो है प्यार से भरी

नाम: अफशा

उम्र: 13 साल

स्कूल: ओरे मीरा सेंटर ऑफ एजुकेशन 

         पटियाला, पंजाब