कु.पारुल कुशवाह की कविता
परी बनूंगी
मै भी पापा की परी बनूंगी ,
खूब पढ़-लिखकर नाम करुंगी ।
मम्मी जी की बात सुनूंगी ,
भईया को खूब प्यार करुंगी ।
आज का काम आज करुंगी ,
कल के लिए नहीं टालूंगी ।
मैं भी पापा की परी बनूंगी ,
गुरुजनों का कहना मानूंगी ।
मन से हर काम करुंगी ,
सुबह जल्दी रोज सोकर उठूँगी ।
नहा धोकर ईश को प्रणाम् करुंगी ,
मैं भी पापा की परी बनूंगी ।
कु.पारुल कुशवाह, लश्कर,ग्वालियर,मध्यप्रदेश, Udaykushwah037@gmail.com, उम्र-13वर्ष