इस शोध-पत्र में प्रमुख हिंदी लेखिका हीरादेवी चतुर्वेदी की एकांकी संग्रह ‘रंगीन पर्दा’ में उठाये गए विभिन्न समस्याओं विशेष रूप से स्त्री-प्रश्नों का मूल्यांकन करने का प्रयास किया गया है। ‘रंगीन पर्दा’ इनकी एकांकियों का संग्रह है, जो 1952 ई. प्रकाशित हुआ था
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मुंशी ज़का उल्लाह और डिप्टी नज़ीर अहमद के शैक्षिक कार्य-अब्दुल अहद
दिल्ली के 19 वीं शताब्दी के दो महत्वपूर्ण विद्वान मुंशी जका अल्लाह (1832-1910) और डिप्टी नज़ीर अहमद(1830-1912) के शैक्षिक प्रयासों का उल्लेख किया जाएगा। इसके अन्तर्गत हम देखेंगे कि उनके यह प्रयास किस तरह अंग्रेजों व सर सय्येद के प्रयासों से अलग थे और उनके द्वारा यह शैक्षिक कार्य क्यों अंजाम दिए जा रहे थे।

यथार्थ के आईने में स्त्री-मधुमिता ओझा
स्त्री की अपनी इच्छाएं, जीवन के प्रति उसके अपने एप्रोच को तवज्जु दिए बगैर न तो स्त्री को समझा जा सकता है, न जेंडर समानता को, न स्त्री के प्रेम को और न ही स्त्री-विमर्श को। स्त्री-विमर्श को समझने के लिए स्त्री की ऑटोनोमी को समझना अनिवार्य है। यही कारण है कि लेखिका स्त्री को उसकी स्वायत्तता के प्रति जागरूक करती हैं।
हिंदी दलित कहानियाँ और भारतीय समाज-विजय कुमार
आज़ादी के बाद दलितों को शिक्षा का अधिकार मिला। मूक लोगों को वाणी मिली और चेतना आई जिससे उन्होंने रुढ़ियों और अमानवीय परंपराओं को नकार दिया। आठवें दशक में हिंदी दलित कहानी ऐसे ही समय में तेज़ी से उभरती है और अपनी उपस्थिति दर्ज करती है। तब से तक दलित कथाकर अपनी कहानियों के माध्यम से स्वयं को तलाशने के साथ-साथ सामाजिक परिवेश की गंभीर चुनौतियों से भी टकराते है

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019: एक अवलोकन-डॉ. अजय कुमार सिंह
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिये वर्ष 2015 में पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय समिति का गठन किया गया। समिति की ओर से तैयार नई शिक्षा नीति का मसौदा सरकार को सौंप दिया गया। इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।