आत्मनिर्भर
–दिलीप तेतरवे
घोषणा सुनते ही रामा स्वावलम्बी चेरियन ने कहा- मुझे भी आत्मनिर्भर बनना है। वह बीते हुए दिनों की घटनाओं पर सोचने लगा, जिनका सम्बन्ध उससे, उसके गाँव और उसके देश से था-
-पिछली बार हमारे विधायक तांडेश्वरम् जी आए थे, हमारे गाँव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए। थाना बनवा गए। सत्तर बरस का राधालिंगम स्वामी मेरे गाँव का पहला शातिर चोर घोषित हो गया! हमारे गाँव की बकरियाँ फोकट में खाद्य बन गईं और सब्जियाँ दस्तूरी में खप गईं। थाने में एसपी साहब ने सभी को डाँटा- अपनी तोंद दो महीने में कम करो !
-फिर विधायक तांडेश्वरम् जी ने दर्शन दिए, हमें और आत्मनिर्भर बनाने के लिए। मेरे पहाड़ी गाँव तक सड़क बन गई। सड़क बन गई तो पता चला कि जमींदारी क्या चीज होती है- बीडीओ ने अपने कर्म से गाँववासियों को ज्ञान दान किया। कई बच्चे शिक्षा त्याग कर ब्लॉक में जबरन दास बना दिए गए।
– गाँववासियों का नूतन विकास हुआ, नूतन चेतना मिली कि ब्लॉक के अधिकारी और कर्मचारी गाँव के लोगों के सहयोग से आत्मनिर्भर हो गए हैं और हम बड़े त्यागी जीव हैं। पता चला कि जिले का एक विधायक बॉस झेपियन मंत्री बना और अत्यधिक आत्मनिभर हो गया, जिले के लोगों के सुलभ सहयोग से।और, मुख्यमंत्री दादों का दादा परमेश्वरम् तो वाकई में राज्य के लोगों के बेशर्त सहयोग से राजेश्वर हो गया।
– ऊपर के लोग नीचे से ऊर्जा पाकर आत्मनिर्भर होते जा रहे थे। गाँववासियों को लगता कि उनकी भी बारी आएगी।फिलहाल तो आत्मनिर्भरता का जो अभियान विधायक तांडेश्वरम् जी ने शुरू किया था, पता चला कि
वे हाईकमान के आदेशपालक थे।मंत्री झेपियन मुख्यमंत्री परमेश्वरम् के द्वारपाल थे।और, मुख्यमंत्री परमेश्वरम् प्रधानसेवक घोषेश्वरम्म के अनुकम्पा पर थे।
– यह भी ज्ञात हुआ कि घोषेश्वरम् जी महोदय अपने सभासदों, एक सौ पचीस करोड़ देशवासियों के स्वतः अनुभूत सहयोग से अपनी आत्मनिर्भरता का भोग कर रहे हैं।
– हम गाँववासी ज्ञानी होते जा रहे थे कि हमारे गाँव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए घोषेश्वरम्म जी महोदय अपने चार मंत्रियों, पचास अधिकारियों और दो सौ व्यापारियों के साथ विदेश इसी माह गए थे। सुखद यात्रा पर करीब चार सौ करोड़ खर्च हुआ। अब उम्मीद जग रही थी कि हमारा गाँव तो आत्मनिर्भरता का सर्टिफिकेट बन जाएगा। – फिर हम गाँववासियों ने उस विदेश यात्रा पर देश का हर समाचार माध्यम विज्ञापन से जगमग था।बोलते मीडिया में यात्रा सम्बन्धी जो विज्ञापन थे, उनमें पिनअप हेरोइन और शर्टहीन हीरो ने हमारे गाँव को स्मार्ट बनाने के सपने दिखाए थे। साला, पियांक हरिहरन यह विज्ञापन बार बार देखता है। और, पेग पर पेग ढाल कर देश की अर्थ व्यवस्था को मजबूत करता है- बड़ा त्यागी है। हाल में उसकी बेटी बिना इलाज के कालकलवित हो गई !
– फिर भी हम गाँववासियों को पक्का विश्वास होने लगा कि अब हम सब आत्मनिर्भर हो जाएँगे।
– रात भर आत्मनिर्भरता को ले कर अच्छे बुरे खयाल आते रहे।सुबह होते ही ज्ञान का प्रकाश कौंधा।कुदाल ले कर खेत में चला आया।मैंने खुद से पूछा- बीज किसने खरीदा? खेत किसने जोते ? किसने खेत में बीज, खाद, पानी डाले ? किसने फसल काटी ? किसने सोने जैसे गेहूँ
के दाने तैयार किए? सभी प्रश्नों का जवाब आया- मैंने !! यानी हम तो पहले से आत्मनिर्भर थे और जो नहीं थे वे हमारे सहयोग से ही हमसे ज्यादा आत्मनिर्भर हो गए!
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