स्व शिक्षण से स्वयं को सवारें :
आप किसी भी क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता की भूमिका में हों या फिर उनसे जुड़े प्रबंधन का भार आपके कंधों पर हो। आप उस भूमिका को तभी बेहतरीन बना सकते हैं; जब स्वयं को सीखने के लिए स्वतंत्र एवं समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन के लिए खुद को तैयार करते हैं। यूं तो स्व शिक्षण के बहुत से स्रोत उपलब्ध हैं, परंतु इनका सही चयन जो आप के उद्देश्य को पूर्ण करने में सहयोग दें यह ज्यादा मायने रखता है। जो तरीका हम स्व शिक्षण के लिए अपनाते हैं उन पर भी बारीकी से ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि यह अगर सही दिशा में हो तो आप को गति प्रदान करती है, और ना हो तो विकास की यात्रा में अवरोधक की तरह काम करती है।
आईए स्व शिक्षण को सहज और प्रभावी बनाने के लिए कुछ तरीकों को देखते हैं –
उद्देश्य केंद्रित हो: – आपकी रुचि विभिन्न विषयों में हो सकती हैं; और उन विषयों का लाभ भी आपके पेशेवर जीवन में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से मिलता है। किंतु स्व शिक्षण को सही दिशा देने के लिए प्रासंगिकता व विविधता में समझ के साथ-साथ संतुलन रखना आवश्यक है। लक्ष्य को केंद्रित कर प्रारंभ करें।
प्रभावी प्रारूप एवं प्रक्रिया को अपनाएं: – आज हमारे पास स्व शिक्षण के विभिन्न स्रोत और माध्यम उपलब्ध हैं। हमें यह तय करना है कि इन उपलब्ध विकल्पों में क्या फायदेमंद है? क्या हमें ऑफलाइन संस्थान, व्यक्ति विशेष और पुस्तकालय का चयन करना है या फिर हमारे लिए ऑनलाइन कोर्सेज एवं पुस्तकालय लाभदायक होंगे।
विशेषज्ञों की सुनें: – अपने विषय के विशेषज्ञों की सुने, उनका अनुभव आपके स्व शिक्षण की राह को केवल आसान ही नहीं बनाता बल्कि आज के परिपेक्ष में विषय की प्रायिकता को भी बतलाता है। आप पॉडकास्ट एवं वेबीनार को अपने आदत में शामिल कर सकते हैं।
समूह से जुड़े एवं विकसित करें: – यह आसान एवं प्रभावी तरीके के साथ-साथ प्रमाणिक तरीका भी है। जब हम स्व विकास सहकर्मी के समूह से जोड़ते हैं तो एक ही विषय को विभिन्न पहलुओं से समझने की समझ विकसित होती है। ऐसे समूह में योगदान देने से विशेषज्ञों सी विशेषताएं स्वयं के अंदर विकसित होती हैं।
व्यवहार में स्थान दें: – स्व शिक्षण से प्राप्त ज्ञान को व्यवहार में लाएं। नए अर्जित ज्ञान का अनुप्रयोग समाधान एवं उचित प्रणाली विकसित कर चीजों को सुगम बनाने में करें। इस तरह नेतृत्वकर्ता एवं प्रबंधक स्व शिक्षण प्रणाली को सुदृढ़ कर अपनी सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं। जिसका लाभ उनके साथ-साथ उनके अनुगामी और संस्थानों को भी प्राप्त होता है।
– रीत कुमार रीत, (प्रबंधन स्कॉलर)