खुदी को बुलंद करना सबसे ज़्यादा जरूरी : डॉ. अपाला मिश्र
दिल्ली, 5 नवंबर।
सिविल सेवा परीक्षा के बारे में बात करने का एक मतलब महिलाओं के बहुत-से मुद्दों पर बात करना भी है। जब कोई लड़की सिविल सेवा के क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल करती है तो केवल वह किसी परीक्षा में ही सफल नहीं होती, बल्कि वह एक नागरिक के रूप में एक अलग मापदंड हमारे सामने रखती है। सफलता के बाद हमारे बारे में सबलोग जानते हैं लेकिन हमारी असफलताओं की बात कोई नहीं करता। हमें अपनी असफलताओं से भी लगातार सीखने की जरूरत होती है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में छात्राओं से रूबरू होते हुए डॉ. अपाला मिश्रा ने ये बातें कहीं। वर्ष 2020 में 9वीं रैंक के साथ यूपीएससी टॉपर रहीं डॉ. अपाला सिविल सेवा अभ्यर्थियों के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं। शनिवार को आई पी कॉलेज के 650 की क्षमता वाले खचाखच भरे सभागार में सम्बोधन के बाद उन्होंने लगभग घंटे भर छात्राओं के सवालों का जवाब दिया और सिविल सेवा में करियर बनाने की प्रेरणा दी। छात्राओं की संख्या 800-900 होने के कारण इस कार्यक्रम को कॉलेज के कॉन्फ्रेंस कक्ष में भी उसी समय लाइव स्ट्रीम किया गया। उन्होंने इस मुकाम तक पहुँचने में अपनी माँ प्रो. अल्पना मिश्र की भूमिका को निर्णायक बतलाते हुए इस बात पर जोर दिया कि सफल होने के लिए खुदी को बुलंद करना सबसे जरूरी है। अगर आप अपने को बुलंद कर लेते हैं तो फिर आपके लिए कुछ भी हासिल करना असम्भव नहीं है।
आई पी कॉलेज की हिंदी साहित्य सभा ने करियर गाइडेंस एंड प्लेसमेंट सेल के साथ मिलकर यह आयोजन किया। कॉलेज के करियर गाइडेंस एंड प्लेसमेंट सेल (जीत) की संयोजक डॉ. विनीता कौल धर ने सबका स्वागत करते हुए इंद्रप्रस्थ कॉलेज की कार्यकारी प्राचार्या प्रो. रेखा सेठी को आमंत्रित किया। कॉलेज की कार्यकारी प्राचार्या प्रो. रेखा सेठी ने कार्यक्रम से तुरंत पहले सतर्कता जागरूकता सप्ताह के तहत सर्व अखंडता की शपथ दिलवाई और फिर नए सत्र में अपाला मिश्रा के आने को एक ऐतिहासिक अवसर बतलाया। मुख्य संवाद और प्रश्नोत्तर सत्र के बाद हिंदी साहित्य सभा के सलाहकार डॉ. पंकज बोस ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ. अपाला के व्यक्तित्व की सहजता से प्रेरणा लेने की बात की।
बताते चलें कि जबकि दिल्ली विश्विद्यालय का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित महिला कॉलेज इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय अपनी शताब्दी वर्ष (2024) में पहुँचने वाला है, तो ऐसे में इस आयोजन को भी शताब्दी आयोजनों की सबसे महत्त्वपूर्ण और बेहद यादगार प्रस्तुति के रूप में देखा जा रहा है।