रंगरेज थियेटर रंग वार्ता की सूचना...
वक्तव्य और पुस्तक हेतु लेख आमंत्रित हैं
प्रो. रमा जी के परामर्श में संचालित रंगरेज थियेटर ने कम समय में ही नाट्य मंचन और चिंतन के क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान बनाया है। रंगरेज द्वारा आगामी अप्रैल में सत्रह दिन का ऑनलाइन रंग वार्ता का आयोजन किया जा रहा है। किसी एक विषय का चुनाव कर आप भी वक्ता के रूप में शामिल हो सकते हैं। जिस विषय का आप चुनाव करेंगे उसको पुस्तक रूप में प्रकाशित भी किया और आपको पुस्तक तथा प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। लेख गंभीर और मौलिक हों।
पंजीकरण शुल्क मात्र 500/– हैं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें– 9718514143
रग-वार्ता के विषय
सिद्धांत
1. स्तानिस्लावस्की का रंग नियम
2. भारतीय रंगमंच पर पश्चिम के रंगकर्म का प्रभाव
3. शेक्सपीयर का प्रभाव और भारतीय कड़ी
4. भारत में व्यावसायिक रंगमंच की स्थिति
5. भारतीय रंगमंच के विकास में पारसी थियेटर का योगदान
6. इप्टा : भारतीय रंगमंच का एक महत्वपूर्ण अंग
7. इब्राहिम अल्काजी का रंगकर्म
8. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय(NSD) की स्थापना : रंगमंचीय प्रयोग
9. रेडियो नाटक : मनोरंजन अथवा जनचेतना ?
10. हिन्दी रंगमंच के विकास में आधुनिक रंग-तकनीक का योगदान
11. भारतीय रंगयात्रा में लोकनाट्य शैलियों का महत्व
12. हिन्दी एकांकी में व्यंग्यात्मक स्वर
13. रंगमंच की पारिभाषिक शब्दावली
14. ‘एब्सर्ड’ नाटकों की प्रासंगिकता
नाटक
1. चन्द्रगुप्त – जयशंकर प्रसाद
2. अंधा-युग – धर्मवीर भारती
3. आगरा बाजार – हबीब तनवीर
4. आंठवा सर्ग – सुरेन्द्र वर्मा
5. मादा कैक्टस – लक्ष्मीनारायण लाल
6. कर्फ्यू – लक्ष्मीनारायण लाल
7. दिल्ली ऊंचा सुनती है – कुसुम कुमार
8. सुहाग के नुपुर – अमृतलाल नागर
9. द्रौपदी – सुरेन्द्र वर्मा
10. कबीरा खड़ा बाज़ार में – भीष्म साहनी
11. पहला राजा – जगदीश चन्द्र माथुर
12. पगला घोड़ा – बादल सरकार
13. सखाराम बाइंडर – विजय तेन्दुलकर
14. बिदेसिया – भिखारी ठाकुर