मानवीय सरोकार की लयकारी वाले लोक कलाकार थे दापु खान मिरासी
मारगिया मे म्हारो रे फूलड़ा बिछाओ री… दर्शन मोरा होरा.. जैसे सादगी एवं मानवीय सरोकार से धून बिखेरने वाले बेहतरीन राजस्थानी लोक कलाकार थे कमायचा वादक दापू खान. प्यारी प्यारी मूमल, गोरिया रै, उनके गाए गीत धुन बेहद लोकप्रिय हुआ और दापु खान का नाम लोगों के ज़हन मे मानो रच बस गया हो.
कमायचा वादक लोक गायक दापु खान जिस आत्मीयता और सजिदंगी से बाड़मेरी राजस्थानी लोक संगित गाते बजाते थे मानो लोकात्मा की खुशबू बिखर जाती थी, और सुनने वालों को रूहानियत खुशी का एहसास होता था. उन्होंने आजीवन लोकसंगीत की आत्मिय एहसास, खूबसूरती, मानवीय सरोकार, अपनापन, सादगी को अपने गाए बजाए लोक धुन मे संजो कर रखे रहा.
लोक कलाओं की बात करें तो पूरा राजस्थान ही अपना अमिट छाप छोड़ जाता है और देखने सुनने वालों को रंगीलो राजस्थान के मिठास रूबरू जरूर करा देता है.
बाड़मेर, जैसलमेर जैसे इलाके तो लोककलाकारों से भरापूरा है. खासकर मांगणियार और लांगा संगीतकार सब लोक धुन संगीत की बिरासत को अभि तक संजोकर रखे हुए हैं. मांगनियार संगितकारों की गूंज देश विदेश से लेकर वाॅलीवुड तक है और पूरी दुनिया इन लोक कलाओं के कद्रदान हैं.
मांगणियार संगितकारों मे से ही एक बेहद अनुभवी एंव लोकप्रिय कलाकार थे कमायचा वादक गायक दापु खान. इनके लोक धुन के बारे मे जितना भी लिखूं शायद शब्द ही कम पर जाए. उनकी अंर्तराष्ट्रीय ख्याति मशहूर थि और देश विदेश के पर्यटक उनके लोक धुन को सुनने जैसलमेर जरूर आते थे. अब दापु खान हम लोगों के बीच नहिं रहे लेकिन उनके लोक धुन अभि लोगों के दिलों दिमाग को झंकार करता है. नमन विनम्र श्रद्धांजलि एसे महान लोक कलाकार दापु खान को.
लेखक- डाॅ. किशन कारीगर
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