वेबसीरीज में समाहित सामग्रियों का समाज पर प्रभाव

डॉ. तारकेश्वर राव इप्पिली

सहायक प्रोफ़ेसर, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग,

मंदसौर यूनिवर्सिटी, मंदसौर,

ईमेल- ippilitarak@gmail.com, 9441130082

अरुण जैसवाल

शोधार्थी, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग,

मंदसौर यूनिवर्सिटी, मंदसौर,

ईमेल- arunjgzp@gmail.com, 9026053870

सारांश

प्रस्तुत शोध आलेख में वेबसीरीज में समाहित आपत्तिजनक सामग्रियों का अध्ययन किया गया है। जैसा कि सिनेमा हमेशा से मनोरंजन का भी एक प्रमुख साधन रहा हैं। आमतौर पर यह देखा जाता है कि युवा पीढ़ी, विशेषकर बच्चे और किशोर फिल्मों या सीरियल्स से संवाद, गीत, एक्शन, रहन सहन के तरीके आदि सीखते हैं, और बाद में यह लंबे समय तक उनके दिमाग में रहता है या फिर कभी-कभी यह भी देखने को मिलता है कि बच्चे फिल्मों में दिखाए गए एक्शन और संवाद की कॉपी करते हैं। अब जब वेब सीरीज का चलन तेजी से बढ़ा है और लोगों को कार्यक्रम के चयन व देखने की पूर्ण निजता मिल रही है। ऐसे में इसका समाज और लोगों पर कुछ सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसका अध्ययन इस शोध पत्र में किया गया है।

बीज शब्द – वेबसीरीज, सामाजिक प्रभाव, अश्लील कंटेंट

शोध आलेख

एक स्वस्थ समाज के निर्माण में संचार की अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारे समाज में मौजूद अखबार, रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा जैसे विभिन्न माध्यमों में सिनेमा संचार का सबसे सशक्त माध्यम माना जाता है। वहीं सिनेमा हमेशा से मनोरंजन का भी एक प्रमुख साधन रहा हैं। आमतौर पर यह देखा जाता है कि युवा पीढ़ी, विशेषकर बच्चे और किशोर फिल्मों या सीरियल्स से संवाद, गीत, एक्शन, रहन सहन के तरीके आदि सीखते हैं, और बाद में यह लंबे समय तक उनके दिमाग में रहता है या फिर कभी कभी यह भी देखने को मिलता है कि बच्चे फिल्मों में दिखाए गए एक्शन और संवाद को कॉपी करते हैं।

बीते दो सालों पर गौर करें तो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज ने धमाल मचा दिया है। इसकी एक वजह ये है कि कहानियों के साथ प्रयोग हो रहा है और नए कंटेट ने दर्शकों के बीच विकल्प दिया है। टीवी से अलग यहां सास-बहू का घिसा-पिटा ड्रामा नहीं है और ना ही लंबे-लंबे ब्रेक। हालांकि अभी भी दर्शकों का एक बड़ा वर्ग है जो वेब सीरीज से अछूता है। फिल्मों और टीवी सीरियल से इतर वेब सीरीज में 8-10 एपिसोड होते हैं। यह सीरीज अलग-अलग कहानी पर आधारित होती हैं। एक एपिसोड 25 से 45 मिनट तक के होते हैं। ये वेब सीरीज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कई बार एक साथ लॉन्च कर दिए जाते हैं, तो वहीं कई बार हर हफ्ते एक एपिसोड लॉन्च होता है।[1]

इन दिनों सोशल मीडिया पर फिल्मों से ज्यादा वेब सीरीज की चर्चा होती है। इकीसवीं सदी के शुरुआती दौर में वेब सीरीज सिर्फ अमेरिका में ही प्रचलित थी, लेकिन बढ़ते डिजिटलाईजेशन की वजह से अब भारत में भी वेब सीरीज प्रचलित हो रही है। भारत में वेबसीरीज का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि अमेरिका की दो सबसे बड़ी कंपनिया नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम ने भारतीय भाषा में कंटेंट बनाना शुरू कर दिया है। भारत में अमेज़न प्राइम, नेटफ्लिक्स, जी 5, हॉटस्टार प्रीमियम, अल्ट बालाजी जैसे कुछ सबसे प्रसिद्ध एप्लीकेशन है जिनकी मदद से हम वेबसीरिज का आनंद उठा सकते है। सही मायने में भारत में वेबसीरीज की शुरुआत साल 2014 से हुई। इस साल यूट्यूब पर टीवीएफ़ (दी वायरल फीवर) ने अपनी पहली वेबसीरीज ‘परमानेंट रूममेट” को रिलीज किया था। बेहद कम समय में यह वेबसीरीज दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाली दूसरी वेबसीरीज बन गयी। इसके बाद टीवीएफ ने एक और वेबसीरीज रिलीज की इसका नाम था “प्रीचर”। यह वेबसीरीज भी यूट्यूब पर हिट हो गयी। इन दो वेबसीरीज के बाद यूट्यूब पर वेबसीरीज रिलीज होने का सिलसिला बढ़ गया, लोग भी इस तरह की हट के वेबसीरीज को पसंद करने लगे।


जनवरी 2016 में नेटफ्लिक्स ने भारत में कदम रखा। नेटफ्लिक्स ने वेबसीरीज को बड़े स्टार के साथ भारतीय भाषा में बनाना शुरू कर दिया, लोगो ने भी इन वेबसीरीज को काफी पसंद किया। इसके बाद 26 जुलाई 2016 को अमेज़न प्राइम ने भारत में कदम रखा। नेटफ्लिक्स के कॉम्पिटिशन में अमेज़न प्राइम ने भी वेबसीरीज और ओरिजिनल को भारतीय भाषा में बनाना शुरू कर दिया। इसके साथ ही भारत में वेबसीरीज का प्रचलन बड़ गया और ज़ी5, अल्ट बालाजी जैसे भारतीय क्रिएटर ने भी वेबसीरीज की दुनिया में कदम रखा। [2]

आज फिल्मों के अलावा वेबसीरीज का चलन तेजी से बढ़ा है, जिसमें लोगों को अपने मन मुताबिक़ कार्यक्रम देखने और समय के अनुसार बदलने की स्वतंत्रता मिल चुकी है। इसके साथ ही इसमें प्रत्येक दर्शक को पूर्ण रूप से निजता मिल रही है। इसलिए वेबसीरीज का चलन दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है। पहले जहां कुछ गिने-चुने ओटीटी प्लेटफोर्म थे, आज इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है। वेब श्रृंखला और ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग का मौजूदा दौर युवाओं को सबसे ज्यादा अपनी तरफ आकर्षित करते हुए दिख रहा है, ऐसे में प्रति घंटे दर्शकों की संख्या ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कमाई का जरिया भी है। वहीं बढ़ते दर्शकों के साथ साथ आज प्रत्येक ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर अलग अलग तरह या यूं कह लें कि लोगों के पसंद के आधार पर विभिन्न प्रकार के कंटेंट भी वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों पर साझा किए जा रहे हैं।

इन दिनों अधिकतर वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म पर ‘बोल्ड और भड़काऊ कंटेंट’ भी देखें जा सकते हैं, साथ ही उनकें संवादों में गाली-गलौज से लेकर लिंगसूचक, जातिगत और व्यक्तिगत टिप्पणी का शामिल होना अब जैसे सामान्य हो गया है। इसका एक बड़ा कारण यह भी माना जा सकता है कि इस तरह के कंटेंट आज के उस युवा वर्ग का अधिक ध्यान आकर्षित करते हैं, जिनके कंधो पर कल के समाज की जिम्मेदारी है।

आज लोगों को वेबसीरीज की एक तरह से लत लग गयी है, वह अपना अधिकतर समय ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किसी और दुनियाँ में दे रहे हैं, लोग फिल्मों / वेबसीरीज के किरदार को अधिकतर समय अपने सामने देख रहे हैं, उसे महसूस कसर रहे हैं, कहीं न कहीं जब तक हम सारे एपिसोड पूरा न देख लें उसके पात्र और कहानी हमारे मन मस्तिष्क में चलती रहती है, जिसके कारण समाज और उनके लोगों में किसी न किसी प्रकार का बदलाव आने की सम्भावना बढ़ जाती है।

आज, डिजिटल मीडिया, मीडिया के सबसे शक्तिशाली अंगों में से एक है और मीडिया, जो सार्वजनिक क्षेत्र का एक अभिन्न अंग है, हमारे समाज के विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दे के कवरेज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। वहीं एक विशाल दर्शक वर्ग ओटीटी प्लेटफॉर्म पसंद करता है , जिसपर वेबसीरीज का प्रचालन तेजी से बढ़ा है। वेब सीरीज़ अलग तरह से व्यवहार करती है, जो समाज क मुद्दे तो उठाती है लेकिन उसमें अश्लील शब्दों का प्रयोग, आपत्तिजनक कंटेंट आदि भी निहित हैं, जो कि एक गंभीर मुद्दा है। वेब श्रृंखला और वेब फिल्में महिलाओं को एक नए रूढ़िबद्ध तरीके से चित्रित करने की कोशिश भी करती हैं, जिसकी तरफ लोगों का रुझान भी बढ़ रहा हैं, जिसका युवा दर्शकों के दिमाग पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।[3]

Saeed, Muzammil. Ali, Farahat. (2021) अपने शोध Consumption of Sexually Explicit Content through Web Series and Emerging Adults’ Sexual Objectification: An Empirical Study में कहते है कि अधिकतर वेबसीरीज में महिलाओं को एक वस्तु की तरह परोसा गया है और उन कंटेंट में सेक्सुअलिटी अधिक परोसा गया है, जिससे कि दर्शकों को आकर्षित किया जा सके। इस तरह के कंटेंट के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का प्रस्तुतीकरण अधिक किया जाता है। वेबसीरीज के इस तरह के कंटेंट दर्शकों को आकर्षित करने के आलावा, महिला व पुरुष के सेक्सुअल व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं।

वहीं Singh, Pavitar. (2021) अपने शोध अध्ययन A Comparative Study of Content, Audience and Medium of Web Series and TV Soap Opera में बताते है कि डेली सोप ओपेरा लोगों की बोलचाल की भाषा को प्रभावित करता है। वहीं वेब सीरीज की भाषा टीवी सोप ओपेरा से ज्यादा आपत्तिजनक है। साथ ही वेब सीरीज में टीवी सोप ओपेरा की तुलना में अधिक यौन सामग्री सम्मिलित है। लोग अपने परिवार के साथ टीवी सोप ओपेरा देखना पसंद करते हैं। जबकि दर्शक अकेले वेब सीरीज देखना पसंद करते हैं। ऐसे में इसका प्रभाव उनपर अधिक होता है, क्योंकि मोबाईल, लैपटॉप जैसे उपकरण का प्रयोग वेबसीरीज के लिए अधिकतर किया जाता है, जो निजता क साथ साथ स्वतंत्रता भी देते हैं।

सबसे ज्यादा युवा वर्ग का वेब सीरीज की तरफ रुझान है, जबकि आज टेलीविजन की तरफ बुजुर्गों और अधेड़ लोगों की ही रूचि रह गई है। वेब श्रृंखला की बेहतर सामग्री और इसकी 24X7 उपलब्धता ने लोगों को टीवी से ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर स्थानांतरित किया है। साथ ही, एक ही समय में वेब के सभी एपिसोड को डाउनलोड करने की ओटीटी की क्षमता अधिकांश लोग पसंद आती है। अधिकांश लोग का मानना ​​है कि टीवी श्रृंखला की सामग्री बहुत कम है और बीच बीच में कोमर्शियल विज्ञापन अधिक, जिस कारण लोग टेलीविजन को नापसंद करने लगे। दर्शकों को ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर अपने पसंद के अनुसार कंटेंट मिलना और किसी भी समय पर इसकी उपलब्धता युवाओं को अपने तरफ अधिक आकर्षित करती है, जिस कारण अधिकतर दर्शक आज टेलीविजन से ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं।

ओटीटी 18 वर्ष से 24 वर्ष के युवाओं को प्रभावित रहा है। शोध के अनुसार 64.3% लोग टीवी की तुलना में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं को प्राथमिकता देना पसंद करते हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि इसके चलते युवाओं में मनोविज्ञान, समय प्रबंधन जैसी समस्याएं आ रही हैं। वहीं ओटीटी प्लेटफोर्म पर वेब सीरीज या फ़िल्म देखने वालों में कुल 71.7% लोग अकेले देख रहे हैं, यह मानवीय संबंधों और बॉन्डिंग पर गंभीर प्रभाव को दर्शाता है। मनोविज्ञान पर ओटीटी प्रभाव का सकारात्मक पक्ष भी देखा गया क्योंकि 37% लोग कहते हैं कि यह लोगों के मनोरंजन का बेहतर साधन है, जो चिंता मुक्त करने में मदद करता है । लेकिन इसका युवाओं पर प्रभाव से नकारा नहीं जा सकता है। कुल मिलाकर निष्कर्ष यह है कि आयु वर्ग के युवाओं पर ओटीटी का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह एक असंतुलित समय प्रबंधन का कारण भी बन रहा है। ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं का युवाओं और उनके जीवन पर प्रभाव पड़ता है।[4]

वेबसीरीज में समाहित सामग्रियों का समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने की प्रक्रिया में हमने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और दिल्ली के उत्तरदाताओं के मत को इकठ्ठा किया है, जो कि निम्नवत हैं।

उत्तरदाताओं से मिले जवाब के अनुसार आज अमेज़न सबसे अधिक देखा जाने वाला ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म है। वहीं आज ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर क्राइम पर आधारित शो या ऐसे शो जिसमें क्राइम सम्बन्धित कंटेंट अधिक शामिल हों, अधिक देखने को मिल रहे हैं। वहीं लगभग 70% से 75% लोगों का मानना है कि आज ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर दिखाए / परोसे जाने वाले कंटेंट लोगों, खासकर युवाओं के मन-मस्तिष्क, रहन-सहन और समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

इस आधुनिकता के दौर में आम जन मोबाइल और सस्ते इंटरनेट के कारण ओटीटी प्लेटफार्म से सीधा जुड़ पाया है और यह जुड़ाव कई दशक पुराना नहीं है बल्कि यह जुड़ाव 5 साल के भीतर हुआ है अन्यथा लोग वेब सीरीज डाऊनलोड करके देखते है। आज ऑनलाइन स्ट्रीमिंग से सीधे जुड़ते हैं। इसके कारण लोगों के सामाजिक जीवन के साथ साथ व्यक्तिगत जीवन पर भी प्रभाव पड़ा है –

  • लोग अपनी पसंद से वेबसीरीज देखते हैं जिस मूड के आदमी है उस मूड के वेबसीरीज देखते हैं।
  • लोग समय के सदुपयोग करना भूल रहें हैं।
  • लक्ष्य से भटकाव
  • रात्रि जागरण जिसके कारण तनाव ,अनिद्रा ,चिड़चिड़ापन, असमय भोजन जिसके कारण अनेक शरीर गत व्याधियों का जन्म मानसिक तनाव।
  • अत्यधिक मोबाइल से स्क्रीन पर देखने से आँखे कमजोर होना।
  • मोबाइल का लत लगना।

ऐसे तमाम पहलू हैं, जो वेबसीरीज के दर्शकों के साथ घटित हो रहे हैं।

इसके अतिरिक्त वेबसीरीज में दिखाए जा रहे आपत्तिजनक कंटेंट (जैसे कि नग्नता/ सेक्सुअलिटी, गाली-गलौज, अपराध, अवैध संबंधो पर आधारित कहानियाँ आदि एक बड़े जनमानस, ख़ास तौर पर युवाओं पर असर डाल रहे हैं और उनके मन-मस्तिष्क को बदल रहे हैं। कहीं कहीं युवा आज आभाषी प्लेटफ़ॉर्म पर देखें गये कंटेंट को वास्तविक जीवन में महसूस करने और लागू करने की कोशिश करता है, जिससे सामाजिक वातावरण दूषित हो रहा है। दूसरी तरफ़ दर्शक जब वेबसीरीज में शामिल इस तरह के कंटेंट का अपने परिवेश से कहीं न कहीं तुलना करता है, जिसका सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव समाज में देखने को मिलता है, जो प्रायः नकारात्मक ही देखने को मिलता है।

निष्कर्ष

शुरुआत में सिनेमा तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता सिनेमाघर ही था, लेकिन टेलीविजन और इंटरनेट की लोकप्रियता के साथ, आज सिनेमा के साथ साथ वेबसीरीज देखना आसान हो गया। इंटरनेट और मोबाइल फोन के आगमन के साथ, अब हम अपने मोबाइल स्क्रीन पर वेबसीरीज तक पहुँच प्राप्त कर सकते हैं, जिससे दर्शकों की संख्या भी बढ़ी है। आज हम वेबसीरीज में दिखाई गई कुछ घटनाओं को देखते हैं, जो हम स्वाभाविक रूप से संबंधित कर सकते हैं तो उन्हें हमारे मन-मस्तिष्क और विचार प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। हम वेबसीरीज के कुछ पात्रों और परिदृश्यों को भी आदर्श बनाते हैं। हम चाहते हैं कि हमारा व्यक्तित्व और जीवन वैसा ही हो जैसा कि हम वेबसीरीज के चरित्र के जीवन को आदर्श बनाते हैं। कुछ लोग इन चरित्रों से इतने घुलमिल जाते हैं कि वे उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन जाते हैं। ऐसे में दर्शक नकारात्मक पहलुओं की तरफ अधिक आकर्षित होता है और धीरे धीरे उसे कहीं न कहीं अपने दैनिक जीवन में भी उतारने लगता है। हमें ओटीटी के कंटेंट में सुधार करने की जरूरत हैं। ओटीटी पर आने वाली कई ऐसी सिरिज हैं जिसे देखकर बच्चें अपने निजी जीवन में उसे करने की कोशिश करते हैं जोकि समाज के लिए एक दुष्परिणाम सामने ला रहा है। वर्तमान में दिखाए जा रहे वेबसिरिजों में अश्लीलता से ज्यादा नकारात्मक प्रभाव अश्लील भाषाओं से पड़ रहा है, आज के युवा उन्हीं भाषाओं को अपने आम बोलचाल में उपयोग कर रहे हैं जिससे समाज मे नकारात्मकता का माहौल पैदा हो रहा है। ऐसे में जल्द से जल्द सेंसरशिप लागू करने पर विचार करने के जरूरत है।

संदर्भ सूची :

  1. Kanawar, vandana. (2021). EMERGING GENDER ROLE REPRESENTATION IN INDIAN MEDIATHEMATIC ANALYSIS OF FOUR MORE SHOTS PLEASE WEB SERIES
  2. Iyer, Kavitha Venkatasubramany. (2018). A STUDY OF EFFECTIVENESS OF PRODUCT PLACEMENT IN INDIAN WEB SERIES AMONG YOUNG CONSUMERS, Journal of Marketing Management. ISSN : 2230-9667
  3. Reshma, Chaithra. (2020). Proliferation of OTT apps in India: an empirical study of OTT apps and its impact on college, www.ijrar.org (E-ISSN 2348-1269, P- ISSN 2349-5138)
  4. Ahuuja, Rahul. (2020). A STUDY OF EFFECTS OF WEB SERIES & STREAMING CONTENT ON INDIAN YOUTH, , IJCRT, ISSN: 2320-288
  5. Jose, Rohit Jacob. (2020). Factors influencing the shift from traditional TV to OTT platforms in India, International Journal of Advanced Science and Technology, pp. 4044-4051
  6. Banaji, Shakuntala. (July 2004). A qualitative analysis of young Hindi film viewer’s Readings of gender, sexuality and politics on-and off screen : Culture, Language and Communication Institute of Education, University of London

    https://www.amarujala.com/photo-gallery/entertainment/bollywood/web-series-popularity-increase-in-india-know-all-about?pageId=2 https://desighapaghap.blogspot.com/2019/01/what-is-web-series-in-hindi.html Kumar, Kuldeep. Gangwar, Rachana. (2021). Behavioral effects of Web Series on Indian Youth Deshpande, Aditya, et al. (2020). ‘STUDY OF IMPACT OF ONLINE STREAMING SERVICES (OSS) ON YOUTH OF 18 TO 24 YEARS GROUP WITH REFERENCE TO NAVI MUMBAI’