घोटालेवाजों की मेरिटलिस्ट
(हास्य कविता)
सभी एक दूसरे पे चिल्ला रहे थे
आखिर क्यों नहीं मैं?
बनी है घोटालेवाजों की मेरिटलिस्ट
इस लिस्ट में मेरा नाम नहीं।
एक ने दूसरे को धकियाआ
चल हट जा पीछे
मैंने तो इतने सारे घोटाले किए
फिर भी इस लिस्ट में मैं नहीं?
जल्दी से इस लिस्ट में सुधार कर
नहीं तो ये समझ ले फिर
मेरे हस्ताक्षर के बगैर कैसे मैं?
सरकारी टेंडर पास होने दूँगा?
किसने कह दिया की भ्रष्टाचारमुक्त भारत?
ये तो सिर्फ झूठी अफ़वाह है
सिर्फ़ एक बार मंत्रिपद मिलने दे
देख कितनी जल्दी मैं अपनी जेब भरूँगा।
क्यों तुम सभी काले धन की रट्ट लगा रहे?
नेताजी को बेमतलब बदनाम किये जा रहे
बता तूँ , किसलिए राजनीती में आया मैं?
एक घोटाले तेरे नाम कर दूंगा, समझा भी करो.
घोटालेवजी में ही तो मैं बेचैन रहता
अरे बुद्धू तू भी ये नहीं समझता?
जनता की सेवा सिर्फ़ चुनावी घोषणा
जनाधार कैसे बढ़ाऊँ? इसी फ़िराक़ में मैं रहता।
सिर्फ़ एक बार इस घोटाले में
तू मेरा साथ दे दे,फिर देख
पब्लिक से कहना मत कभी
घोटाले की आधी रकम मैं तेरे नाम कर दूँगा।
ऐसा है तो फिर हम सभी मिलकर
दिन-रात घोटाला करेंगे यहीं
घोटालेवाजों की मेरिटलिस्ट में भी घपला
कोई तो बता इस लिस्ट में क्यों मेरा नाम नहीं?
कवि- किशन कारीगर
(सहायक प्रोफेसर)