शीर्षक:- मूर्ख सिर्फ जनता है

गांधी जी है प्रेरणा प्रयास सिर्फ सत्ता है।
विचार गया भाड़ में मूर्ख सिर्फ जनता है।

वोट देकर पार्टी को विकास की तलाश में,
युवा सिर्फ घूम रहे नोकरी की आस में,
तिल तिल तड़प रहे गरीब सिर्फ झांस में,
नेता सारे घूम रहे ऐसी और आकास में
सत्ता के लिए सारे खोलते कितने पत्ता है।
विचार गया भाड़ में मूर्ख सिर्फ जनता है।।

पक्ष हो बिपक्ष हो समक्ष जब आती है,
घोषणा पत्र में ढकोसला सिर्फ लाती है,
आरोप प्रत्यारोप सब जनता को दिखाती है,
वादा निभाने में इनकी नानी याद आती है,
जीतने के बाद अपने क्षेत्र से नापता है।
विचार गया भाड़ में मूर्ख सिर्फ जनता है।।

देवियो के देश में दरिंदे बलात्कारी है,
दरिंदो के पक्ष में सारे सरकारी है,
चीखती चिल्लाती मारती किलकारी है,
दिल नही पिघलता इतने व्यभिचारी है,
निंदा चुनिंदा केंडिल मार्च सिर्फ करता है।
विचार गया भाड़ में मूर्ख सिर्फ जनता है।।

प्रचार प्रसार में जितना खर्च होता है,
जाता नही जनता को जन जन रोता है,
योजना बहुत है जमीन पर ओ सोता है,
नेता निचोड़ते किसानो के खोता है,
गांधी जी है प्रेरणा प्रयास सिर्फ सत्ता है।
विचार गया भाड़ में मूर्ख सिर्फ जनता है।।

गणेश नाथ तिवारी”विनायक”
श्रीकरपुर, सिवान
वर्तमान में सऊदी अरब

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