१. युद्ध के बीज
उपहार में मिलते हैं,
छोटी लड़कियों को गुड़ियाएं,
और नन्हे लड़को को बंदूक के खिलौने,
फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में
नन्ही बच्चियां सजती है परियां बन,
और नन्हे बच्चे फाैजी पोशाक में,
और दुनिया
युद्ध के कारणों को जानने के लिए
विमर्श में मसरूफ है….
२. युद्ध में कविता
युद्ध में जन्म लेती कविता भी,
जन्म लेते वक्त
कभी बम जैसे नहीं फूटती,
जिसके विस्फोट की आवाज दूर दूर तक सुनी जा सके,
वो खिलती है,
खहंडर बनी इमारत के मलबे में उगे
उस फूल के जैसे, जिसकी सुगंध,
जिसने एक बार भी सूंघी हो,
वो महसूस कर सकता है हमेशा,
यहां तक कि,
उस फूल के ना रहने पर भी….
३. युद्ध के बाद
और फिर
अपना बड़प्पन दिखाते हुए,
वो लौट जाएंगे वापिस,
अपने चौड़े सीने पर विजेता का तमगा लगाए,
और शब्दों में दयालुता भर लौटा कर
खंडों में बांट
भूमि मूल निवासियों को,
लोकतंत्र की स्थापना के लिए
न्यायप्रिय होने की चीख के साथ,
जाते जाते भी उनके भारी बूटो में कसे पैर रौंदते रहेंगे
उनके रास्ते में आती हर घास बूटी को,
ये घास और बूटियां भी आदमियत सी अजीब है,
जितना भी कुचल डालो,
फिर से हरी होने को अंकुरित होने लगती हैं…….
© हरदीप सबरवाल