विद्रोही कलम
क्यों जी कलम अभी सोई हुई हो,
उठो,
अभी तुम्हें कोशों दूर चलना है,
खुद में सब संताप भिचकर,
विद्रोह के स्वर लिखना है ।।१।।
क्यों जी कलम अभी सोई हुई हो,
उठो,
अभी तुम्हें इस समाज के युवाओं का,
नया भविष्य लिखना है ।
नभ के तारों के समान,
टिमटिमाते इन युवाओं को नयी दिशा प्रशस्त करना है ।।२।।
क्यों जी कलम अभी सोई हुई हो,
उठो,
उल्कापात की तरह फैल,
इस तिमिर अंधेरे को पल में दूर करना है ।
और
पृथ्वी को अब पापयुक्त अंधकार से मुक्त करना है ।।३।।